Sunday, March 29, 2020

मेंदु शास्त्र से भी आगे का आत्माशास्त्र.......।

मै आत्मा हूँ।
                    मै ये शरीर नहीं हूँ। तुम जो मुझे ये जो भी समझते हो वो मै  नहीं हूँ। मै कभी जन्म लेता नहीं और न मेरी मौत होती कभी। ना मुझे जलाया जा सकता है , ना मुझे काटा  जा सकता है। मै  किसी को दिखाई नहीं देता  पर मै  हूँ जरूर जरूर। मै आत्मा हु। जबसे पृथ्वी , सूरज , चाँद ,तारे है तबसे मै  भी हूँ। मै वक्त हूँ। मै  समय हूँ। मैंने जब जब शरीर धारण किया है। तबसे मेरे शरीर द्वारा जो कर्म होते गए हर उस कर्म का फल मै आजतक भोग रहा हु। अंदाज से पिछले ५ हजार साल्से मै  जन्म अलग अलग शरीर में लेता रहता आया हूँ। परमात्मा के आदेश पर मै शरीर धारण करता हूँ। परमात्मा के आदेश पर हर एक जन्म में मुझे जो भी किरदार मिलता है उसे बड़ी ईमानदारीसे निभाने की कोशिश करता हूँ। और उसमे मै फल की अपेक्षा नहीं रखता। जो भी मिला वो परमात्मा का आशीर्वाद समज़कर उसे स्वीकार करता हूँ।
                    जब जब दुनिया में पाप बढ़ेगा ,पापी तथा दुरात्मायै बढ़ेगी ,कंस के भांति दुसरोको कष्ट देंगी तब तब परमात्मा ऐसी परिस्थिति निर्माण करेंगे जैसे आज की......। और उस पर उत्तरदाईत्व भी वो परमात्मा ही करेंगा। पर उस परमात्मा का एहसास तो होने दो। कुछ को ऐसा लगता है की वो जो ठहराएंगे , सोचेंगे वैसा ही होगा और होना चाहिए। पर उन्हें नहीं मालूम की सबसे बड़ी अदालत ऊपर वाले की है। वो मात्र  कुछ हजार आत्मा ओ की सोच ने ये पूरा शांति में तब्दील किया। 
               तो उस परमात्मा को ईसा करने पर मजबूर करनेवाली तमाम आत्माओ की सोच की ताकद को समझो। मै आत्मा शक्तिशाली हूँ। मुझे कोई नकारात्मक सोंच भेद नहीं सकती हैं। ये शास्त्र मेंदु शास्त्र से भी आगे का शास्त्र है।      


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