मानव का आत्मा एक ऐसी मिलिनियम मेमरी है। एक गहरी सोच जिसमे हजारो जन्मो की कहानी से ओतप्रोत है। कोई यहाँ किसी को कोई ज्ञान दे नहीं सकता क्यों की सब ज्ञानधारी है , बस उस पर परदा पड़ा हुवा है। अब सब की अपनी अपनी याद करने की शक्ति है। उस प्रकार शिक्षक बस उस याद को खोजने की कोशिश कर सकता है। और उसके लिया विद्यार्थी और शिक्षक आमने सामने रहने की जरुरत नहीं वो केवल आत्मा से जुड़े होने चाहिए। जैसे एकलव्य के सामने कोई प्रत्यक्ष गुरु नहीं था, पर गुरु जैसे शक्ति का पक्का निश्चित ऐहसास था। वो थे द्रोणाचार्य गुरु जी।
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